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अभी फुलझड़ी पटाका बाद मे

वैचारिक प्रवाह
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गोया जागरण न हो गया अदालती हलफनामा हो गया ,, खैर जो हो लेकिन कुछ खटक गया

प्रकृति के ऐकदम विरुद्ध मानवता होती चली जा रही है यूं तो दुश्मनी के तीन कारण आम हैं जर ,जोरू ,जमीन ,, लेकिन चौथा कारण सबसे भारी है और जिसका सभी ने उपयोग किया है ,,धर्मांतरण पर आज भी लोगों मे मन / मत भेद हैं ,। यूं भी भारत की जमीन बहुत उर्वर है जहां जंगली घास फूस की तरह नए नए पंथ निरंतर उगते रहे हैं तो कुछ तो वल्लरी लताओं की तरह भारत को चूस चूस कर खुद को पल्लवित करते रहे हैं ,लेकिन भाई मुझे नही लगता कि आज तक किसी पंथ विशेष ने आम लोगों का भला किया हो ,समस्याएँ तो जस की तस पंथों ने एक नई उलझन पैदा कर दी कि तू बड़ा कि मै ,यार मुझे समझ नही आता कि सुरसा की तरह बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार ,महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध किस पंथ मे कम है जो कटोरा ले कर कहते हो अपना लो यहाँ तो कुछ गैरों ने बांटा कुछ अपनों ने ,, जिसकी परिणति आज का यह भारत है जहां कहने को तो विभिन्नता मे एकता है लेकिन सतरंगी छ्टा  का इंद्रधनुश आज तक नही बन पाया , आज यहाँ पर बहुदेशीय जनता का निवास है कोई किसी देश का नारा बुलंद कर रहा है तो कोई कहीं के गीत गा रहा हा सारे जहां से अच्छा तो जैसे खो सा गया है ,,आज भारत मे भारतीय न पैदा हो के विभिन्न विचारों के पोषक पैदा हो रहे हैं , जो रूदालियों की तरह हर दर पर आँसू बहा जाते हैं लेकिन भारत के लिए तो उनके दिल मे हरारत ही नही है

अभी बहुत से बलागरों को पढ़ा मुझे लगा बलागिंग मे भी लाबिंग हो रही है हाँ जी खुल के हो रही है अब इसमे किसी की माया है मनी है की मायनो है राम जाने,, लेकिन इससे देश का भला तो नही होने वाला हाँ इससे इतना तो पता अवश्य चलता है की भारत की शिक्षित जनता चमचागीरी मे आज भी नंबरी ही है देश तो घिसट ही रहा है कुछ लोग अर्थी को कांधा देने की सोच रहे हैं

आजकल तो एक नया क्विज का दौर चला है की प्रधानमंत्री कौन यानि की आज के प्रधानमंत्री को अभी से भूतपूर्व घोषित कर दिया ठीक ही है अभूतपूर्व भी वही हैं ,,

तो भैया कल एक अप्रेल है तो तैयार रहिए फुल फुल फूल बनाया जाएगा चिदम्बरम जी ने जो झुनझुना  दिखाया था उसे लेमनचूस बनाकर चुसवाया जाएगा ,,तो आटे दाल का भाव आँकते हुए मस्त रहिए………………..

चोंच से चोंच लड़ाते चलो ,

कुर्सी को अपनी बचाते चलो,

जेब भरी है डगर है कठिन,

जो मुह खोले लुटाते चलो ,

साथ जो छोड़े न छोड़ो उसे,

सीबीआई का डंडा घुमाते चलो,

आगे चुनाव जाल फेंको अभी,

जोरू नई तुम पटाते  चलो,

नये नये टांके फँसाते चलो,

चोंच से चोंच लड़ाते चलो ,, 🙂 🙂     …………………………………………..जय भारत

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