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भारत में लोकतंत्र या विवशतन्त्र ?

वैचारिक प्रवाह
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आजादी के ६३ वर्ष बाद भी भारतीय जनता गुलामी से उबर नही पायी है,,आज जब अमेरिका विजयगान कर रहा है तो हमारे नेता स्तुतिगान में तल्लीन हैं इस गायन को सुन कर यही प्रतीत हो रहा है कि भारत अमेरिका का ही एक प्रदेश है कुछ स्वर अगर विरोध में है तो उनकी भी अपनी डफली अपना राग वाली हालत है दिग्गी जी चिंतित हैं कि मानसबन्धु लादेन को उचित सम्मान क्यों नही दिया गया तो मनमोहन समेत सभी हर्षित हैं कि अमेरिका ने आतंकी को मार गिराया गोया अमेरिका भारत का कारिन्दा है जो अपने कारिंदे के कारनामे पर खुश हो रहे हैं ,,अरे वह उसकी प्रिय जनता का हत्यारा था उसने अपना राजधर्म का निर्वहन किया लेकिन आपका राजधर्म कहां गया ,,आपके इतने लक्छ्य हैं परन्तु आप करबद्ध प्रार्थना कर रहे हैं कि भाई मेरी भी फरियाद सुन लो और इनको मुझे सौंप दो ताकि हम इनकी मेहमाननवाजी कर सकें ताकि हमारे वोट बैंक में इजाफा हो सके  ,,((भारत में आतंक फैलाने वाले पाकिस्तानी आतंकी संगठन))१-हिज्ब-उल-मुजाहिददीन 1989 सैयद सलाउददीन मुज्जफराबाद,,२-हरकत-उल-मुजाहीदीन 1998 सज्जाद अफगानी पीओकेकश्मीर जेहाद फोर्स,,१९-अल-जेहाद फोर्स,,२०-महाज-ए-आजादी,,21-इस्लामी जमात-ए-तुल्बा,,२२-जम्मू-कश्मीर स्टूडेन्ट लिबरेशन आर्मी,,२३-इखवान-उल-मुजाहिददीन,,२४-इस्लामिक स्टूडेन्ट लीग,,२५- तहरीक-ए-हुर्रियत-ए-कश्मीर,,२६-अल-मुस्तफा लिबरेशन फाइटर,,२७-तहरीक-ए-जेहाद-ए-कश्मीर,,२८-मुस्लिम मुजाहिददीन ,,२९-अल-मुजाहिद फोर्स,,३०-तहरीक-ए-जेहाद,,३१-इस्लामी इंकलाब महाज,,३२- सिपाह-ए-साहिबा ,,३३-लश्कर-ए-जहांन्वी,,३४-अल-फतह,,३५-हिजबुल्ला,,३६-हिज्ब-उल-मामिनीन,,३७-उम्माह-तामीर-ए-नाउ,,३८-बलूच पीपुल्स लिबरेशन फ्रन्ट,,३९-बलूच स्टूडेन्ट आर्गेनाइजेशन,,४०-जमात-उल-फुकरा,, ४१-नदीम कमांडो,,४२-मुत्ताहिदा कौमी महाज;; वांछित आतंकी:-दाउद इब्राहिम,,हाफिज सईद,,जकीउर रहमान लखवी ,, मसूद अजहर,,युसूफ मुजम्मिल,,साजिद मीर,,इत्यादी एक रिपोर्ट:- दुनिया भर में आतंकी घटनाओं का ब्योरा रखने वाले एसटीएआरटी के अनुसार 1970 से 2004 के बीच भारत में 4108 आतंकी घटनाएं हुईं। इनमें एक लाख दो हजार 539 लोग मारे गए 2011 की प्रगति इसमे सम्मिलित नही है (लेकिन जो देश अपने ही घर में 26/11 मुंबई हमले के दोषीअफजल गुरू और कसाब की खातिरदारी करने में मग्न है उसे क्या परवाह इन सगठनों एवं आतंकियों की )लेकिन देश का नेत्रित्व  तो स्तुति गान में  खोया है ,,अमेरिका ने जो बिना आंतरिक असहमति के कर दिया वह भारत में तो नामुमकिन है यहाँ धर्मनिर्पेकछ रुदालियों को मानवाधिकार की चिंता सताने लगेगी तो कुछ की निगाहें अल्पसंख्यक वोट पर लग जायेंगी ,,((आज अगर देश में किसी का बलात्कार होने वाला हो तो पहले तो इस पर बंहस होगी कि इसे हिंसक तरीके से रोका जाए या अहिंसक तथा यह दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति किस सम्प्रदाय से आता है फिर इस पर लम्बी बंहस चलेगी और अंत में निर्णय लिया जाएगा कि उस दुष्कर्मी से यह अनुरोध किया जाए कि वह ऐसा कुकृत्य न करे ,,लेकिन इस निर्णय पर पंहुचने से पूर्व ही बलात्कार हो चुका होता है फिर बारी आती है दंड की कि उसे कैसा दंड दिया जाए अगर भूल से मृत्यु दंड दे दिया गया तो आपराधी के पों बारह हो जाते हैं वह दया की अपील करके पांच सितारा होटलों की भारतीय मेहमाननवाजी का आनन्द लेता है और जब तक निर्णय आता है वह अपना पूरा जीवन विलासिता के साथ जी कर स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त हो चुका होता है ,,))
आज देश को आवश्यकता है एक ऐसे नेत्रित्व की जो देश को घुटना टेकी नीति से उबार सके,,भाएतीय संस्कृति में वानप्रस्थ आश्रम का यूँ ही नही उल्लेख हुआ है एक उम्र के पश्चात व्यक्ति की बुद्धि दिग्भ्रमित होने लगती है ऐसे में उसे सांसारिक कार्यों से अलग हो जाना चहिए तथा अपने जीवन में किये पाप कर्मों का प्रायश्चित करना चाहिए ,,लेकिन अफ्शोश देश को हमेशा से ही वानप्रस्थियों का ही नेत्रित्व मिला है जो खुद को नही संभाल पाते वह देश को क्या संभालेंगे  | जय भारत

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