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लादेन एक सवाल अनेक :-

वैचारिक प्रवाह
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ओसामा की मौत के बाद पाकिस्तानी टीवी चैनल पर जारी की गई उसकी तस्वीर (बाएं)। विशेषज्ञों ने इस तस्वीर की वास्तविकताको खारिज कर दिया है। दार्ई ओर ओसामा की फाइल फोटो)बराक ओबामा और समूची दुनिया लादेन की मृत्यु की खुशी मना रही है लेकिन किसी ने यह सोचने की जहमत क्यों नही उठाई कि उसे ज़िंदा गिरफ्तार करने के बाद भी अभियोग साबित कर फांसी दी जा सकती थी और अमेरिका यह करने में समर्थ भी था ,, अमेरिकी बयानों और गतिविधियों से तो यही प्रतीत होता है फिर उसे तुरंत मारना अमेरिका के लिए क्यों आवश्यक हो गया था और पाकिस्तान जो बिलकुल ही इस मामले से अनजान बन रहा है उसे भी यह ब्यान देने से पहले सोचना चाहिए था कि उसके देश में हेलीकाप्टर चहलकदमी कर रहे थे और उसे पता तक नही,, ऐसा क्यों कर सम्भव हुआ या फिर वहां कि सुरक्छा एजेंसियां बिलकुल ही सूरदास हैं और अगर हुआ तो सब कुछ पाकिस्तान की सहमती से ही हुआ पाकिस्तान में अमेरिका की सैन्य दखल को दुनिया जानती है पाकिस्तान अमेरिकी सैनिकों के लिए एक शिकारगाह की तरह ही है जहां उसके सैनिक निरंतर अपने निशानों को आजमाते रहते हैं फिर पाकिस्तान का बेमकसद पूरी घटना से पल्ला झाडना हास्यास्पद ही लगता है और मुशर्रफ जो कि एक समय बाथरूम जाने के लिए भी अमेरिका की अनुमति लेते थे आज राजनीति में आते ही बूढ़े शेर के की तरह दहाड़ने लगे पेट में आंत नही मुह में दांत नही आदतें भेड़ियों जैसी ,, लादेन जो सउदी अरब का के कुलीन घर का उच्चशिक्छित व्यक्ति जिसको अमेरिका ने अपनी निहित म्ह्त्वाकान्छा के चलते एक किलिंग मशीन बना दिया इस पाशविक नरसंहार में जितना लादेन दोषी है उतने ही अमेरिका के भी हाथ खून से लाल हैं और पाकिस्तान जो सदैव से ही बेपेंदी का लोटा था और आज भी है कभी चीन के इसारे पर नाचता है तो कभी अमेरिका के और कभी दोनों के ”बंदर एक मदारी अनेक ”
अगर लादेन को अमेरिका जीवित पकड़ लेता तो लादेन उसके लिए ऐसा अजाब बन जाता जिससे वह अपना पीछा नही छुड़ा पाता ”दोनों ही एक दूसरे के शरीके हयात थे फिर यूँ दुनिया के सामने बेपर्दा कैसे होते ,एक मरना तो निश्चित ही था ,,लेकिन क्या वास्तव में लादेन मारा गया ,,या फिर पुराने दोस्त अपने सभी गिले शिकवे भूल कर फिर से गले मिल गये किसी और अति महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम देने के लिए और दुनिया ने समझा कि लादेन मारा गया ?
अमेरिका ने आनन फानन में इतनी जल्दी उसका अंतिम संस्कार क्यों कर दिया ?
उसका विडिओ क्लिप अभी तक जारी नही किया गया जबकि ओबामा सारी घटना का सीधा प्रसारण देख रहे थे ?
जो चित्र जारी किया गया है उस चित्र में शायद ही कोई पहचान पाए कि यह ओसामा बिन लादेन ही है ,क्या अमेरिका ने जान बुझकर संसय की स्थिति को पैदा करना चाह रहा है ध्यान रहे अमेरिका का कोई भी कार्य बेमकसद नही होता ?
डी० एन० ए० किसी जीवित अथवा घायल व्यक्ति का भी मैच कर दुनिया को दिखाया जा सकता है ,,इससे यह प्रमाणित नही होता कि लादेन वास्तव में ही मर गया है ?
और अगर मर गया है तो उसे मारने के लिए अमेरिका इतना विवश क्यों हो गया अगर उसे ज़िंदा गिरफ्तार कर लिया गया होता ”जो कि सम्भव था” तो विश्व को बहुत स़ी ऐसी जानकारियाँ मिलती जो आतंकवादी गतिविधियों के कार्य प्रणाली और उसमे संलिप्त लोगों /देशों का पर्दाफाश हो जाता है ,,क्या अमेरिका इसी परदाफाश से डर कर ब्लैक प्वाईंट शूट करने पर विवश हो गया ?
वियतनाम युद्ध में आरोपित सैनिकों के बर्बर कारनामों से पूरी दुनिया वाकिफ है बहुत से सैनिक इस मामले में आरोपित हैं /थे जो मानवता के अपराधी थे और जिन पर पकड़े जाने के उपरान्त मुकदमा चलाना अनिवार्य हो जाता फिर क्यों कर एक भी आरोपित सैनिक गिरफ्तार नही हुआ ,अगर अमेरिकी समाचार एजेंसियों के समाचार पर भरोसा करें तो सभी आरोपी सैनिक जो कि मानवता के अपराधी थे अमेरिका में बदले नामों के साथ आरामदायक जीवन जी रहे हैं सरकार हर माह उन पर उनके आराम के लिए ढ़ेरों पैसा खर्च करती है|
अमेरिका खुद लादेन के मुह से निकले सच से डर के ऐसे कार्य कर रहा है जो अनेक संशयों को जन्म दे रहे हैं ,,अगर लादेन अमेरिका को जीवित या मृत ( मारने पर भी विवश हुआ उसके सरेंडर के बावजूद सरेंडर इस वजह से कहा जा सकता है क्योंकि अमेरिका के ही कथनानुसार सर में गोली मारी गई जो कि प्रतिरोध की अवस्था में सम्भव नही है ) जिस भी अवस्था में मिला उसे छुपाना अमेरिका की विवशता थी अन्यथा अमेरिका दुनिया में खुद भी बेपर्दा हो जाता ,,सच क्या है शायद ही दुनिया के सामने आये ,,और जो सच सामने आयेगा वह अमेरिकी सच होगा वास्तविक सच नही | लेकिन सारे घटनाक्रम के बावजूद मै अमेरिकी सरकार के देश प्रेम को नमन करता हूँ उन्होंने जो भी किया अपने देश के लिए किया अगर भारत के पास जरा सा भी शर्म हो तो उसे अमेरिका से सीख लेनी चाहिए कि कैसे अपने दुश्मन को मारा जाता है यह सीख हमे पुनः अमेरिका ने अपने कृत्यों के माध्यम से दे दी ,,बार बार घुटना टेकू नीति से देश की कमर हमेशा के लिए झुक गई है भात की इस कमजोरी से आज पूरा विश्व अवगत है ,, देश को उसका खोया हुआ आत्मविश्वाश एवं स्वाभिमान वापस लाना भारतीय सरकार का कर्तव्य है,,लेकिन शायद भारतीय सरकार शर्म को भी बेंच कर उससे प्राप्त धन को स्विस बैंक में जमा कर चुकी है.,,तभी तो आतंकवादी भारत की मेहमाननवाजी के कायल हो बार बार भारत का ही रुख करते हैं और भारत भी उनके सेवा खतिर में पलक पावणे बिछाने को तत्पर रहता है ………..जय भारत

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