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अफगानिस्तान की राह पर बढ़ता पाकिस्तान

वैचारिक प्रवाह
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37840pv8U_wआप कहेंगे हमे इससे क्या मतलब ,भाई बहुत मतलब है ,(हम भारतीय हैं पड़ोसी का घर जल रहा हो तो हाथ नही सेंकते,फिर पड़ोसी चाहे जैसा हो ) मियां मुशर्रफ ने तो सूखा गन्ना भी निचोड़ लिया था ,जो बाकी बचा है पाकिस्तानी भाई लोग उसे भी जलाकर हाथ सेंक रहे हैं,और अब तो चीन भी आ गया (पाकिस्तानी भाई सोच रहे हैं चलो अच्छा है ,हड्डी में कबाब आया ) लेकिन उन्हें सोचना चाहिए एक वह दौर था जब कहा जाता था हिंदी चीनी भाई भाई (लेकिन चीनी भाईयों ने शायद यह सोचा होगा कि भारतीयों को कहीं शुगर कि बीमारी न हो जाये ,इसीलिए चीनी कि जगह नमक दे दिया लेकिन शायद भूल से जहर आ गया,जिसे खाकर न जाने कितने भारतीय सैनिक शहीद हो गये ) आज पाकिस्तानी चीनी भाई भाई बन रहे हैं ,,पाकिस्तानी भाई चीनी मरहम अपने जले पर लगा रहे हैं ,,और अब शायद चीनी भाई चीनी ही दे रहे हैं (घाव को नाशूर जो बनाना है ) लेकिन एक बात हमारे समझ में नही आई कि ये चीनी भाई क्यों फटे में टांग लगा रहे हैं,,(उनके अपने देश में चीनी भाई लोग पालीथीन में गैस चुरा कर भागते हैं,आप वहां के कुछ जगहों पर तमंचा ले कर जावो,छै चीनी भाई शहीद होकर भी आपका तमंचा चीन लेंगे ) रुसी भाईयों का फटे में टांग अडाना तो समझ आता है,कभी और शायद आज भी भूभाग के लिहाज से रुसी भाई आज भी समृद्ध हैं ,एक एक भाई के हिस्से एक एक किलोमीटर तो आ ही जायेगा ,,अमेरिकी भाईयों कि स्थिति भी अच्छी है (ये अलग बात है कि अमेरिका के कुछ जगहों पर एक एक डालर के लिए भी भाई लोग आपका गला काट लेंगे) हमे अमेरिका चमकता हुआ दिखाई देता है ,ये वहां कि मीडिया कि देन है,,और हमारी मीडिया भाई उसकी तो बात ही न्यारी है ,,(अपने व्यूअर्स को बढ़ाने के लिए आपके बाथरूम में घुसकर आपकी बिना जांघिया वाली तस्वीर दिखाकर कहेगी बेचारे भारतीयों के पास पहनने को वस्त्र तक नही है)मुझे यह नही समझ आता कि हमारी भारतीय मीडिया अमेरिकी गलियों कि तस्वीरे क्यों नही लाती,,आस्ट्रेलिया के जूतमपैजार को भी हाईलाईट करे ,,ब्रिटेनी भाई कि चार चार महीने न नहाने वाली आदत पर भी पर भी कुछ कमेन्ट करे ,,(आखिर डियोड्रेंट भी तो हमारे इंग्लिश भाईयों के लिए ही है जिसे कभी कभी हम भी नहा कर लगा लेते हैं ,,लेकिन वो भाई लोग महीनों से न नहाये बास मरते बदन कि बास दूर करने के लिए लगाते हैं) हाँ भाई मै बात कर रहा था अपने पाकिस्तानी भाईयों की,,तो कुछ दिनों पहले हमारी भारतीय मीडिया ने खबर दी कि चीनी भाई पाकिस्तानी बैंक को टेकओवर कर चुके हैं ,,यह खबर सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई,,हो भी क्यों न (हमारे पाकिस्तानी भाई अमरीकी डालर का कुछ मियां मुशर्रफ कि बदौलत ,,और कुछ उनके हमख्याल भाईयों के जरेशाया तिया पांचा कर चुके हैं और कर भी रहे हैं ,,अब जब अमेरिका ने थोडा हाथ तंग किया (वो भी क्या करे जब खुद उसके ही देश में भाई लोग बेरोजगारी के आलम में दारू पी कर सडकों पर दहाड़ रहे हैं ) तो चीनी भाई आ गये (भाई जब रूस ने अफगानिस्तान में फच्चर किया तो उसी फच्चर में अमेरिका ने भी अपनी टंगड़ी डाल दी ,अब बेचारा बेहाल है सब होश में लाने के लिए प्रयत्नशील हैं ) लेकिन पाकिस्तानी भाईयों का हाजमा बहुत मजबूत है,फिर रुसी वोदका भी नही है बहकने के लिए( लेकिन चीनी भाई भी चीनी इतनी खिलाएंगे कि शुगर कि बीमारी हो जाएगी ) फिर पाकिस्तानी भाई खुद ही कटे पेड़ कि तरह गिर जायेंगे ,,और भईया लादेन जो पाकिस्तान के उपर लदा बैठा है (जिसे अमेरिका खजियल कुत्ते कि तरह ढ़ूंढ़ रहा है ) बेचारा चुप क्यों बैठा है (शायद अमेरिकी असलहा खत्म हो गया ) अरे भाई अगर खत्म हो गया है तो कहीं और से ले लो आखिर ढ़ेरों यार हैं तुम्हारे किसी भी दोस्त के जरिये( अमेरिका से ही डालर दे कर डील कर लो) शायद फिर से मान जाये क्योंकि पाकिस्तान में तुम्हारी जरूरत पड़ने वाली है ,,भईया अगर चीनी भाईयों कि चीनी पाकिस्तानी भाई खाते रहे तो तुम्हारा पुनर्जन्म निश्चित समझो ,,फिर हो जाएगी न बल्ले बल्ले .फिर से अमेरिका तुम्हारे उपर डालरों कि बरसात करेगा ,,क्योंकि अफगानिस्तान कि बैंड बजा ही चुके हो ,अब पाकिस्तान कि बारी है,,दिक्कत भी नही होगी पाकिस्तानी जनता पहले से ही तुम पर वारी है ( फिर अमेरिका आएगा, शांति का परचम लहराएगा,,पाकिस्तानी जब तन जायेंगे ,फिर कब्र तक उन्हें पहुंचाएगा )

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