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यथार्थ एक गरीब आदमी का

वैचारिक प्रवाह
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सार्वजनिक राजनितिक मंच पर हमेशा गरीब आदमी की चर्चा होती है ,उनके लिए इतने वादे किये गये (कि वह बेचारा गरीब आदमी वादों के बोझ से ही दब गया)फिर भी वह जहाँ था आज भी वहीं है (वादे तो भूलने के लिए ही होते हैं ) सभी चुनावों में उसी की चर्चा होती है,अभी पंचायती चुनाव हो रहे हैं ,फिर वही गरीब आदमी ,,अब वह प्रधान बनने के लिए खड़ा है (ठीक उसी तरह जैसे खेत में कौवों को भगाने के लिए बिजूका खड़ा किया जाता है) वह डंडा किसका है जिस पर वह खड़ा है ,सभी जानते हैं ,बेचारा गरीब आदमी सभी उसकी गरीबी दूर करने को उसके पीछे पड़े रहते हैं ,,फिर भी वह आज तक गरीब है? हमारी भारतीय रेल और गरीब आदमी :-हमे भारतीय रेल पर अत्यधिक गर्व है,हो भी क्यों न देश के लगभग सभी भू भागों का हमे वह दर्शन करवाती है और कभी कभी बिना किसी कीमत के परलोक का भी
कभी सोचा है आपने हमेशा गरीब आदमी का साधारण डिब्बा हमेशा आगे एवं पीछे ही क्यों रहता है (चाहे जहाँ से ठोंको ठुंकेंगे वही)और वह सामान्य डिब्बा जिसके टिकटों की सीमा ही नही होती ,,लोग भूसे की तरह उसमे भरे रहते होते हैं ,,हमारी भारतीय रेल सामान्य श्रेणी के टिकटों के प्रति इतनी उदार है (चाहे जितना लो हम देते ही जायेंगे ,अब आप डिब्बे में घुस पाओ या न यह आपकी शारीरिक ताकत के उपर निर्भर है )
जब कोई रेल हादसा होता है ,त्वरित गति से राहत पैकेज की घोषणा कर दी जाती है,,भारतीय रेल के पास यात्रियों का बाकायदा लेख जोखा उपलब्ध रहता है (आरक्छित श्रेणी के यात्रियों का) सामान्य श्रेणी के यात्री तो उस अनन्त जल धारा की तरह हैं जो कभी खत्म ही नही होते ,,अब वह रेल हादसे के शिकार सामान्य बोगी के यात्रीक्या प्रमाण दे पाएंगे कि वह रेल हादसे का शिकार है या वायु दुर्घटना के कारण आसमान से सीधे जमीन पर आ गिरे क्या पता (वह बेचारा हरिया जिसे सरकारी दस्तावेजों में हरिनाथ कहते थे ,अपने चार दोस्तों के साथ देवी दर्शन को जा रहा था, टिकट जेब में रखे रखे ही जन्नतनशीं हो गया ,लेकिन वो चार दोस्त अब जा तब जा लगे हुए हैं उनके लिए कौन सा पैकेज है ,और वो हरिया न जाने कहाँ से टिकट जेब में ठूंस लिया) एक गरीब आदमी जिसकी चर्चा हर जगह होती है |
आरक्छन और गरीब आदमी :-बहुत विवादित शब्द है ,इस शब्द कि परिभाषा आज तक मुझे समझ नही आई ,और यह है किसके लिए यह भी समझ नही आया (वो फलां डाक्टर साहब उनका बेटा डाक्टरी की तैयारी कर रहा था, और उनके घर के नौकर का लड़का भी डाक्टरी की तैयारी करने के साथ ही डाक्टर साहब के क्लिनिक में कुछ काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च निकलने का प्रयाश करता था ,दोनों ही आरक्छित वर्ग से आते थे परन्तु डाक्टर साहब के बेटे का चयन हो गया और उनके नौकर का बेटा क्लिनिक में ही काम करता रह गया ,क्योंकि तैयारी के लिए उसे पर्याप्त समय ही उसे नही मिल पाता था ,आरक्छन दोनों के लिए ही था)
चतुर्थ श्रेणी के पद चार पद के लिए चालीस हजार लोग आवेदन करते हैं ,,कुछ की योग्यता पांचवी होती है तो कुछ (लगभग बीस फीसदी,,जिनके साथ सामान्य वर्ग का ठप्पा भी लगा हुआ है ) मास्टर डिग्री धारक होते हैं,,अगर यह बीस फीसदी आर्थिक रूप से सम्पन्न होते तो क्योंकर चतुर्थ श्रेणी के पद के लिए आवेदन करते,,फिर आवेदन करते करते थक हार कर एक ऐसी दुनिया (जरायम ) में प्रवेश कर जाते हैं,,जिनसे हम नफरत करते हैं ,,उन्हें अपराधी कौन बनाता है? कुछ लोग इसका कारण जनसंख्या विस्फोट कहेंगे ,,लेकिन इस जनसंख्या नीति का निर्माण किसने किया ,,क्यों इस जनसंख्या नीति को (सहमती एवं स्वेक्छा ) का विषय बना दिया गया ,,जब ध्वनी प्रदुषण के लिए कानून है(जिसका यदा कदा पालन भी होता है ) कुछ राज्य विशेष में (हाथी) के उपयोग के लिए भी दिशा निर्देश जारी कए गये हैं ,,फिर जनसंख्या नीति के लिए इतनी उदारता क्यों बरती जा रही है ? आरक्छन के प्रसंग पर कुछ दनों पूर्व की एक घटना याद आ गई (मै नवजात बच्चे के लिए सर्दी जुखाम की दवा जो डाक्टर के द्वारा लिखी गई थी ,, एक्स ,,वाई,,जेड मेडिकल स्टोर वाले ने मुझे आई ड्राप दे दिया ,मैने उक्त विषय में उससे कहा ,लेकिन वह मुझे सहमत करने में लग गया ,कि डाक्टर ने ही गलत लिखा है ,मै भी भ्रमित होकर वापस डाक्टर के पास आ गया ,लेकिन डाक्टर ने कहा उक्त दवा सही लिखी है ,किसी दूसरे मेडिकल स्टोर पर देख लीजिये,मै दूसरे मेडिकल स्टोर से जाकर वही दवा यह कन्फर्म करने के बाद कि उक्त नाम से कोई आई ड्राप बाजार में नही है ले आया ,,आरक्छन से क्या लाभ हो रहा है और किसको ,,क्या उसी को जो इसका पात्र है,,और पात्र कौन कौन है यह बहस का विषय है,,लेकिन इस आरक्छन से देश या व्यक्ति का कितना भला हुआ मुझे आज तक समझ में नही आया (वह गरीब आदमी आज भी वहीं है जहाँ वह पहले था ,,फिर इस तरह के भेद भाव से नफरत क्यों फैलाई जा रही है, क्या धार्मिक मतभेद कम हैं जो इस व्यवस्था को लगातार बनाये रखकर जातिगत वैमनस्यता को बढ़ावा दिया जा रहा है ?

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